۴ آذر ۱۴۰۳ |۲۲ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 24, 2024
इत्रे क़ुरआन

हौज़ा / संसार में अविश्वासियों की अस्थायी सफलताएँ और विलासिताएँ, जो विश्वासियों के लिए प्रलोभन का स्रोत हो सकती हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم  बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम

لَا يَغُرَّنَّكَ تَقَلُّبُ الَّذِينَ كَفَرُوا فِي الْبِلَادِ   ला यग़ुर्रन्नक़ा तक़ल्लोबुल लज़ीना कफ़रू फ़िल बेलादे (आले-इमरान 196)

अनुवाद: सावधान रहें कि शहर के चारों ओर घूमने वाले काफिरों से धोखा न खाएं।

विषय:

इस आयत का विषय इस दुनिया में अविश्वासियों की अस्थायी सफलता और विलासिता से संबंधित है, जो विश्वासियों के लिए प्रलोभन का स्रोत बन सकता है।

पृष्ठभूमि:

यह आयत उस समय अवतरित हुई जब मुसलमान मक्का और मदीना के बीच कठिनाइयों का सामना कर रहे थे। उस समय, मक्का के काफिर आर्थिक और सैन्य रूप से मजबूत थे, और उनकी सफलताएँ मुसलमानों के दिलों में संदेह और चिंता पैदा कर सकती थीं। अल्लाह ताला ने इस आयत के ज़रिए मुसलमानों को तसल्ली दी कि काफ़िरों की सांसारिक उपलब्धियाँ केवल अस्थायी हैं और उन्हें मुसलमानों के लिए धोखा नहीं बनना चाहिए।

तफ़सीर:

  1. सांसारिक उपलब्धियाँ और प्रलोभन: यह श्लोक हमें सिखाता है कि सांसारिक धन, शक्ति और उपलब्धियाँ, जो बहुत आकर्षक लगती हैं, वास्तव में एक प्रलोभन हैं। हमें यह समझने की जरूरत है कि ये सभी अस्थायी हैं और सफल होने के लिए इनका कोई वास्तविक मानदंड नहीं है।
  2. आख़िरत की सफलता पर ध्यान दें: यह आयत हमें याद दिलाती है कि हमारा मुख्य लक्ष्य आख़िरत की सफलता हासिल करना है, न कि सांसारिक धन के पीछे भागना। इसलिए, हमें अपने कार्यों को इस तरह से देखना चाहिए कि वे हमें अल्लाह के करीब लाएँ और आख़िरत में सफलता का कारण बनें।
  3. धैर्य और दृढ़ता: जब हम अविश्वासियों को दुनिया में सफल होते देखते हैं और हमें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, तो यह कविता हमें धैर्य और दृढ़ता सिखाती है। हमें अल्लाह की बुद्धि पर भरोसा करना चाहिए और विश्वास करना चाहिए कि हमारी वास्तविक सफलता इसके बाद में है।
  4. धोखे से सावधान रहें: यह श्लोक हमें दुनिया की चकाचौंध से धोखा न खाने की सलाह देता है। सांसारिक बाहरी उपलब्धियों को वास्तविक सफलता समझना बहुत बड़ा धोखा है और हमें इससे बचना होगा।
  5. अल्लाह पर भरोसा रखें: यह आयत हमें अल्लाह पर भरोसा करना सिखाती है, चाहे अविश्वासी दुनिया में कितने भी ताकतवर और सफल क्यों न हों, अल्लाह की मदद और उसका वादा ईमानवालों के साथ है, और हमें उस पर भरोसा रखना चाहिए।

परिणाम:

इस आयत के आलोक में हमें सांसारिक सुख-सुविधाओं की अपेक्षा परलोक की सफलता को अपने जीवन का लक्ष्य बनाना चाहिए। हमें धैर्य और दृढ़ता के साथ अल्लाह की प्रसन्नता तलाशते रहना चाहिए और दुनिया से धोखा खाने से बचना चाहिए।

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तफ़सीर राहनुमा, सूर ए आले-इमरान

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